Wednesday, January 6, 2010

स्कूलों में नहीं बनेंगे नौवीं के पेपर

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) में इस साल से बड़े बदलाव शुरू हो गये हैं। जहां दसवीं क्लास की परीक्षाएं अगले वर्ष से वैकल्पिक हो जायेंगी। वहीं नौवीं कक्षा में भी बड़े परिवर्तन के संकेत हैं। नौवीं की परीक्षा में नई बात यह होगी कि इस साल वार्षिक परीक्षा के सभी पेपर बोर्ड स्वयं बनाएगा। यानी अब विद्यालय केवल मूल्यांकन करेंगे पेपर बनाने की जिम्मेदारी बोर्ड के बनाये हुए पैनल पर होगी। गत दिनों दिल्ली में आयोजित के प्रधानाचार्यो की बैठक में इस रणनीति को अंतिम रूप दिया गया।

शिक्षा की गुणवत्ता के लिये चोला बदलते सीबीएसई ने नौंवी की परीक्षा में प्रश्नपत्र तैयार करने की जिम्मेदारी अपने हाथों में ले ली है। ऐसा विद्यालयों में पढ़ाये जा रहे पाठ्यक्रमों के परीक्षण के साथ परीक्षा में गुणवत्ता लाने के लिये किया जा रहा है। कार्यशाला में प्रतिभाग करने गईं महर्षि पतंजलि विद्यामंदिर की प्रधानाचार्या सुष्मिता कानूनगो के अनुसार नौवीं की परीक्षा आब सेमीबोर्ड होगी। बोर्ड की इस पहल से स्कूलों में समग्र पाठ्यक्रम के अध्यापन की समीक्षा की जा सकेगी। इसके साथ विद्यालय के अध्यापकों से ट्यूशन पढ़ने वाले बच्चों को प्रश्नपत्र का प्रारूप भी नहीं पता चल पायेगा। इस पहल से कालेजों में पढ़ाए गये सेलेबस की जानकारी मिल पाएगी। उन्होंने बताया कि सेलेबस की जानकारी सत्र के शुरूआत में ही एनसीईआरटी की वेबसाइट पर एवं कोर्स कैरिकुलम के साथ उपलब्ध करा दी जायेगी। इसके अतिरिक्त छात्रों के अंक स्कूली गतिविधियों पर भी निर्भर करेंगे। परिणाम के लिये सतत विस्तृत मूल्यांकन (सीसीई) को भी आधार बनाया जायेगा। विद्यालय ही स्टूडेंट का परीक्षण करेंगे। शिक्षणेत्तर क्रियाकलापों जैसे खेलकूद, स्काउट-गाइड, योग, बागबानी, स्वास्थ्य, शारीरिक शिक्षा के पांच प्वाइंट भी ग्रेड में समाहित किये जायेंगे। होम असाइनमेंट के लिए बोर्ड की तर्ज पर स्कूल ही प्रश्नबैंक तैयार करेगा जबकि इंटरनल असेसमेंट कक्षा कार्यो के आधार पर किया जायेगा। गृहकार्य, मौखिक प्रश्न, क्विज, प्रोजेक्ट, एसाइनमेंट सहित आवश्यक सृजनात्मक गतिविधियों के आधार पर अंकों का निर्धारण किया जा सकता है। समग्र परीक्षा में छात्रों के अंक दो भागों में विभक्त होंगे। स्टूडेंट की परफार्रमेंस और टर्म को ध्यान देते हुए उन्हें प्वाइंट दिया जायेगा।

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