Sunday, January 31, 2010

पुत्तर दे व्याह वेले गावण वाली घोड़ी

हरया नी मालण हरया नी भैणे
हरया ते भागी भरया
जित दिहाड़े मेरा हरया नी जमया
सोयिओ दिहाड़ा भागी भरया।
जमदा हरया पट्ट वलेटिया
कुछड़ देयो एना माईआं।
नाहता ते पोता हरया रेशम लपेटिया
कुछड़ दयो सक्कियाँ भैणां।
की कुझ मिल्या दाईआँ ते माईआँ?
की कुझ मिल्या सक्कियाँ भैणां ?
पंज रुपये एनां दाईआँ ते माईआँ
पट्ट दा तरेवर सक्कियाँ भैणां।
पुछदी पुछांदी मालण नगरी विच आई
शादी वाला घर केहड़ा ?
उचड़े तम्बू सब्ज़ कनातां
शादी वाला घर इहो
मेरी मालण बैठ दहलीजे
कर सेहरे दा मुल्ल।
इक लक्ख चंबा , दो लक्ख मरूआ
तिन्न लक्ख सेहरे दा मुल्ल।
ली मेरी मालण बन्न नी सेहरा
बन्न लाल जी दे मत्थे भागी भरया सेहरा *
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* इह लोकगीत पुत्तर दे व्याह वेले गाया जांदा हैऐनू घोड़ी कहंदे हन

1 comment:

Anonymous said...

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