Tuesday, April 21, 2009

सीखें इनसे : उम्र सौ साल

हौसले जवां हों तो मंजिलों की राह में उम्र में आड़े नहीं आती। 100 साल की होने जा रहीं नोबेल प्राइज विनर

साइंटिस्ट रीटा लेवी मोंटैलसिनी पर यह बात पूरी तरह लागू होती है। इस उम्र में भी उनका दिमाग उससे कहीं तेज है, जितना 20 साल की उम्र में था।

रीटा को इटली में लाइफटाइम सेनेटर के सम्मान से भी नवाजा जा चुका है। बुधवार को वह अपना 100वां जन्मदिन मनाने जा रही हैं। यूरोपीयन ब्रेन रिसर्च इंस्टिट्यूट ने उन्हें सम्मानित करने के लिए एक समारोह आयोजित किया। समारोह में रीटा ने कहा- 100 साल की उम्र में भी मेरा दिमाग उस वक्त के मुकाबले बेहतर है, जब मैं 20 साल की थी। यह अनोखा अनुभव है। पार्टी में उनके लिए एक बड़ा केक रखा गया था।

रीटा को 1986 में अमेरिका के स्टैनली कोहेन के साथ मेडिसिन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए नोबेल प्राइज से नवाजा गया था। उनका जन्म तुरिन शहर में हुआ था। पुराने दिनों को याद करते हुए रीटा ने बताया कि 1930 के दशक में मुसोलिनी के फासीवादी दौर में यहूदियों के खिलाफ कानून लागू होने पर कैसे उन्हें यूनिवर्सिटी छोड़ने को मजबूर होना पड़ा। तब उन्हें अपने घर के बेडरूम में बनी लैबरटरी काम करने को मजबूर होना पड़ा। रीटा ने कहा- सबके बावजूद मुश्किल दौर से मैं डरी नहीं। मुश्किलों में ही बेहतरीन चीजें निकलकर आईं।

इस जानी-मानी साइंटिस्ट ने कहा- मुझे दोयम दर्जे की नस्ल का करार देने के लिए मैं मुसोलिनी का शुक्रिया अदा करती हूं। इसी ने मुझे किसी इंस्टिट्यूट के बजाय अपने बेडरूम में भी काम करने के लिए प्रेरित किया।

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