Friday, March 13, 2009

वृन्दावन में राधा - कृष्ण

आवहु री गुण गाईये मिली अनुरागिनी टोल |
झुलवहीं लाड लड़ाय कै लाड लालन को डोल ||
झूलत, डोल दोऊ पिया प्यारी |
होरी को श्रम दूर करन हित सहचरि रच्यो संवारी ||
वृन्दावन नव कुञ्ज महल में है रह्यो आनंद भारी |
रूप माधुरी झमक झुलावत भई प्रेम मतवारी ||

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